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ग्राम-रक्षा-दल एवं दलपति द्वारा किये गये कार्य एवं किये जा रहे कार्य

विवरण

भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद बिहार में ग्रामीण परिवेश को ध्यान में रखते हुए बिहार पंचायत राज अधिनियम 1947की धारा-26 से 30 के अंतर्गत ग्राम-रक्षा-दल के गठन की उसकी उपयोगिता एवं कर्तव्य को सिद्धांत रूप में लागू किया गया | जिसका मूल उद्देश्य ग्राम पंचायतों में सामान्य पहरा तथा प्रतिपालन, आगलगी, बाँध या पुल का टूटना, महामारी का फैलना तथा सेंधमारी या डकैती जैसी आपाती (आकस्मिक )घटनाओं का सामना करना,रात्रि पहरा, जान-माल की सुरक्षा, सरकारी सम्पतियों की रक्षा तथा नागरिक उत्तरदायित्व की प्रवृति को सभी नागरिकों में जागृत करना, समाज में सामाजिक सद्भाव, अनुसूचित जातियों के प्रति अत्याचार निवारण एवं अल्पसंख्यकों में आत्म विश्वास जागृत करने की भावना साथ ही साथ आपतातिक स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुँचना तथा आवश्यक उपचार इत्यादि के अतिरिक्त सरकार द्वारा समय- समय पर सौंपे गये सभी दायित्वों का निर्वहन यथा निर्वाचन कार्य, विधि व्यवस्था में सहयोग करना ग्राम-रक्षा-दल का मूल उद्देश्य रहा है |

वर्तमान समय में बिहार राज्य के अंतर्गत कुछ ऐसे जिले है जहाँ अपराधिक घटनायें अत्यधिक घट रही है जहाँ उग्रवाद अपनी चरम सीमा पर है | ऐसी स्थिति में ग्राम-रक्षा-दल को अत्यधिक सुदृढ़, मजबूत एवं क्रियाशील बनाने से उपरोक्त सभी कार्यो में सरकार को कम खर्च में ज्यादा से ज्यादा लाभ और सफलता प्राप्त होगी |

त्रिस्तीय पंचायत पूर्ण रूप से कार्यरत है जिसमें ग्राम पंचायतों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है | ग्राम-रक्षा-दल त्रिस्तरीय पंचायत का रीढ़ है | जिसके कमजोर होने से पंचायती राज व्यवस्था स्वतः कमजोर होगी | बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 में भी ग्राम-रक्षा-दल की महत्वपूर्ण भूमिका को दृस्टि पथ में रखते हुए धारा-33 के अंतर्गत प्रावधानित किया गया है |

वर्तमान समय में ग्राम-रक्षा-दल के सदस्यों /दलपतियों द्वारा निम्नांकित कार्य किये जा रहे है :-
ग्राम पंचायत के भीतर लोक विधि एवं व्यवस्था बनाये रखना |

सामान्य पहरा तथा निगरानी करना | आकस्मिक घटनाओं जैसे दुरभिक्ष, भूकंप, बाढ़ या पुल का टूटना, महामारी का फैलना, चोरी, डकैती आदि का यथास्थिति सामना करना या मदद करना |अपराध का रोक थाम एवं नियंत्रण करना | जानमाल का संरक्षण करना | अव्यवस्था का दमन करना |अफवाह, लोक शांति में विध्न डालने जैसे अफवाहों को प्रतिवेदित करना एवं रोकना |

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पीड़ितों को प्राथमिक उपचार प्रदान करना एवं अस्पताल ले जाना |

आगलगी में आग बुझाने में अकाल एवं महामारी के समय जनता को मदद करना |मेले, बाज़ारों और हाटों को संगठित और नियमित करना | नोटिसों, सम्मानों इत्यादि को तामील करना और मुखिया तथा सरपंच के आदेशों को कार्यन्वित करना | जनगणना, कृषि- गणना, पशु -गणना, जन्म- मृत्यु के सम्बन्ध में आँकड़ों का संग्रह करना एवं उन कार्यों में मदद करना |लोक- सभा /विधान सभा के निर्वाचन के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना | ऐसे किसी कृत्य का निर्वहन करना जो ग्राम पंचायत या सरकार द्वारा समय-समय पर अधिनियम तथा उसके अधीन निर्मित नियमावली के कार्यान्वयन हेतु उन्हें समनुदेशित किया जाय |

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ग्राम-रक्षा-दल तथा गृह रक्षा

ग्राम-रक्षा-दल तथा गृह रक्षा वाहिनी के कार्यों में लगभग 100 प्रतिशत समरूपता है और इसी उदेश्य से बिहार पुलिस मैन्युअल 1978 में पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के पड़ा पदाधिकारियों का समावेश है |

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ग्राम-रक्षा-दल प्रतिरक्षा की एक दूसरी पंक्ति है |

गणतंत्र दिवस :- पटना की ऐतिहासिक गाँधी मैदान में गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित परेड में ग्राम-रक्षा-दल की टुकड़ियों शामिल है | चीनी आक्रमण 1962 में ग्राम पंचायतों की सुरक्षा का पूर्ण दायित्व ग्राम-रक्षा -दल को सौंपी गयी थी | इसी प्रकार 1955 में कोसी नदी के पंचायतों में कोई पुलिस (थाना)नहीं है |अपराध की घटनाएँ की रोक-थाम सर्वप्रथम ग्राम-रक्षा-दल /दलपति पर निर्भर करता है | में यहाँ यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि आज की परिवेश में भी करीब-करीब २५०० जनसख्या (आम नागरीक ) पर एक पुलिस की व्यवस्था नहीं है | ऐसी स्थिति में ग्रामीण परिवेश को दृष्टि पथ में रखते हुए अपराध /घटना को रोकने में इनकी सक्रिय भूमिका है |
सादर समर्पित |

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रवि रंजन कुमार

प्रदेश महामंत्री
बिहार राज्य दलपति एवं ग्राम-रक्षा-दल महासंघ पटना